Sunday 14 May 2017

‘नैशनल एलाएंस फॉर वोमैन्स रिजर्वेशन बिल’ पर जागरूकता सम्मेलन का आयोजन

‘नैशनल एलाएंस फॉर वोमैन्स रिजर्वेशन बिल’ पर जागरूकता सम्मेलन का आयोजन 
  • भीख नहीं अधिकार चाहिए, 33 नहीं 50 चाहिए
  • महम के ऐतिहासिक चबूतरे से सैंकड़ों महिलाओं ने भरी एक स्वर में हुंकार
  • पंचायत से लेकर संसद तक 50 प्रतिशत आरक्षण बिल पास करने की मांग रखी

‘‘भीख नहीं अधिकार चाहिए, 33 नहीं 50 चाहिए’’ के गगनभेदी नारों के साथ महम के ऐतिहासिक चबूतरे से महिलाओं ने विधानसभाओं एवं संसद में 50 प्रतिशत आरक्षण पाने के लिए सैंकड़ों महिलाओं ने जबरदस्त हुंकार भरी। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की। हरियाणा नवयुवक कला संगम, रोहतक एवं सामाजिक अनुसंधान केन्द्र, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘नैशनल एलाएंस फॉर वोमैन्स रिजर्वेशन बिल’ पर जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता हरियाणा नवयुवक कला संगम के महानिदेशक डॉ. जसफूल सिंह ने की, मुख्य वक्ता सामाजिक अनुसंधान केन्द्र, दिल्ली की परियोजना अधिकारी अर्चना झा व शोध अधिकारी डॉ. मानशी मिश्रा और विशिष्ट अतिथि समाजसेविका शकुन्तला चौधरी थीं। सम्मेलन का संचालन जन शिक्षण संस्थान, रोहतक के प्रभारी निदेशक राजेश कश्यप ने किया। डॉ. जसफूल सिंह ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि महिलाओं के साथ लंबे समय से अन्याय होता चला आ रहा है, लेकिन अब यह बंद होना चाहिए। महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना ही चाहिए, यह उनका हक है। डॉ. जसफूल सिंह ने कहा एक ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा व संसद तक महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान देश में संवैधानिक रूप से लागू होना चाहिए। मुख्य वक्ता अर्चना झा ने कहा कि आज संसद में केवल 11 प्रतिशत ही महिलाएं हैं और 89 प्रतिशत सीटों पर पुरूषों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं को विधानसभाओं और संसद में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव पास नहीं किया जाता, तब तक महिलाओं के साथ अन्याय होता रहेगा। श्रीमती झा ने आगे कहा कि एक महिला ही महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर संसद में बैठकर कारगर कानून बनवा सकती है। डॉ. मानसी झा ने महिलाओं को बिना आरक्षण का प्रावधान किए पूरी भागीदारी नहीं मिल रही है। उन्होंने महिला समाज का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने हकों को पाने के लिए 33 नहीं, 50 चाहिए की मुहिम को जन आन्दोलन में बदलने के लिए एकजुट हो जाएं और अपने क्षेत्र के सांसद कहें कि वे महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए संसद में आवाज आवाज बुलन्द करें। समाजसेविका शकुन्तला चौधरी ने कहा कि जब हमारी आबादी पुरूषों के बराबर है और पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बराबर काम कर रही हैं तो उन्हें विधानसभाओं और संसद में बराबर की भागीदारी क्यों नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अब महिला समाज जाग चुका है और अब वह हर स्तर पर बराबर का अधिकार पाने के लिए एकजुट हो चुका है। संस्थान के प्रभारी निदेशक राजेश कश्यप ने कहा कि महिलाएं ही परिवार, समाज एवं देश का आधार हैं। उन्हें बराबर के अधिकार दिए बिना और पूरी भागीदारी दिए बिना कोई भी परिवार, समाज व देश सही मायने में तरक्की नहीं कर सकता। सम्मेलन में चंचल, मिनाक्षी मलिक, कंचन, यशोदा आदि अनेक महिलाओं व युवतियों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर महिलाओं ने गीत व भजनों के जरिए भी अपनी भावनाओं को उजागर किया। 
 कैमरे की नजर...




 







 


 














 









 








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